हज़रत आईशा रदी अल्लाहू अन्हा ने दर्याफ़्त किया या रसूल-अल्लाह सललल्लाहू अलैही वसल्लम अगर मुझे शब-ए-क़द्र मिल जाए तो क्या दुआ करू तो आप सललल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया शबे कद्र की रात को कसरत से ये दुआ पढ़ा करो, बेशक अल्लाह माफी माँगने वालो को पसंद करता है
Allahumma Innaka Afuwwun Tuhibbul Afwa fa’fu Anni,
अल्लहुम्मा इन्नका अफुव्वन तुहिब्बुल अफवा फा’फू अननी,
तर्जुमा :
या अल्लाह तू माफ़ करने वाला है और माफ़ करने को पसंद करता है इसलिए मुझे माफ़ फरमा
Shab e Qadr ki keemat :
शब-ए-क़दर रमज़ान में जागने वाली एक रात है. जो इंसान इस रात में जाग कर अल्लाह की इबादत कर लेता है उसको 1000 महीनो (83 साल, 4 महीने) से भी ज़्यादा इबादत करने का सवाब मिलता है.
ये रात अल्लाह की तरफ से उम्मत-ए-मुहम्मदिया को इनाम हे, क्यॉंके हुंसे पहले की उम्मत को ये रात नही दी गई. इस रात की बड़ी कीमत है, अल्लाह ने क़ुरान की पूरी 1 सुराह (इन्ना अंज़लनाहू) इस रात की तारीफ़ में उतार दी. पूरा क़ुरान शरीफ लो-ए-महफूज़ से आसमान-ए-दुनिया में इसी रात में उतरा गया. इसी रात में फरिश्तो को बनाया गया और आदम (अल्यहीस्सलाम) का माद्दा इसी रात में जमा हुआ, इसी रात में जन्नत में पेड़ (ट्रीस) लगाए गए, ईसा (अल्यहीस्सलाम) ज़िंदा आसमान पर इसी रात में उठा लिए गए, इसी रात मेी बनी इसराइल की दुआ क़ुबूल हुई. और हज़रत जिबराल (अल्यहीस्सलाम) फरिश्तो इसी रात को एक फरिश्तो के गिरोह के साथ दुनिया में आते हैं और जिस इंसान को अल्लाह की इबादत करते पाते हैं उसके लिए रहमत की दुआ करते हैं, फिर फरिश्ते पूरी दुनिया में फेल जाते हैं और मस्जिद, घर, जुगनले, जहाज़, पहाड़, गाड़ी में जहा भी उनको कोई इंसान अल्लाह की इबादत करता हुआ मिलता हे, फरिश्ते उससे हाथ मिलाते हैं. इस रात में जो इंसान ईमान के साथ सवाब की नियत से जागता है अल्लाह उसके सारे सगिरा (छ्होटे) गुनाहो को माफ़ कर देता है, कबीरा (बड़े) गुनाह बागेर टोबा के माफ़ नही होते, इसलिए इस रात में अपने कबीरा गुनाहो की अल्लाह से खूब माफी मांगिए.
ये बहुत कीमती रात है, खुश नसीब है वो इंसान जिसको ये रात मिल जाए, इसलिए रमज़ान की 21, 23, 25, 27 और 29 रातो को जागीए, शब-ए-क़दर इन्ही रातो में से एक रात होती है. कई उलेमा इस बात पर ज़ोर देते हैं के 27 रात ही शब-ए-क़दर हे.
जो लोग सिर्फ़ मोज-मस्ती के लिए रात जागते हैं और अल्लाह की इबादत नही करते, उनको रात जागने से कोई सवाब नही मिलता.
अल्लाह हम सबको शब-ए-क़दर की इबादत नसीब करे. आमीन. सुम्मा आमीन या रब्बुल आलमीन
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